अम्बेडकर प्रेरणा दल बनाकर दलित बच्चों में शिक्षा, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता का कर रहा संचार
- Seniors Adda
- May 16, 2024
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12 जिलों के पांच हजार बच्चों का अम्बेडकर प्रेरणा दल में जोड़कर उच्च शिक्षा की राह आसान बना रहे फादर जोस
आज भी किसी बच्चे का दलित होना श्राप की तरह देखा जाता है। जिस प्रकार में असमानता की रेखा खिंची हुई है वहां गरीब होकर दलित होना किसी सजा से कम नहीं है। दलित बच्चों की इस पीड़ा को सिर्फ ही दूर कर सकती है। बिहार में ऐसे ही 5 हजार बच्चों का अम्बेडकर प्रेरणा दल बनाकर फादर जोस क्रांति लाने की मुहिम में जुटे हैं। फादर जोस बताते हैं बांका, जमुई, नवादा और शेखपुर में आज भी दलित बच्चे मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर हैं। जंगलों में रहते हैं और दिनभर पशु चराते हैं। कहा जाए तो बस इनकी जिन्दगी कट जा रही है और कुछ नहीं। इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना बहुत ही कठिन है क्योंकि जंगलों और पहाड़ों पर पढ़ाने के लिए शिक्षक भी नहीं मिलते हैं। स्कूल भी हैं तो काफी दूर-दर, ऐसे में इन बच्चों को संगठित करने की चुनौती खत्म की कोशिशों में लगा हूं। हम बिहार दलित विकास समिति के माध्यम से बिहार के 12 जिलों के 5 हजार बच्चों को शिक्षा, अनुशासन स्वास्थ्य और नेतृत्व क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है। बच्चों का चयन कैडर आधारित होता है। सबसे पहले गांव स्तर पर बच्चों का चयन होता है। एक ग्रुप में 20-25 बच्चे चयनित होते हैं। गांव के बाद पंचायत, फिर प्रखंड और जिला स्तर पर लीडर बच्चों का चयन होता है। दलित समुदाय के परिवार काफी गरीब और अशिक्षित होते हैं। इस वजह से घर में पढ़ाई का माहौल नहीं होता है। इसके बच्चे पढ़ाई काफी कमजोर होते हैं। इन बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए रेमिडियल क्लासेज चलाते हैं। इसमें चौथी से छठी क्लास के बच्चों को पढ़ाया जाता है।
कौन है फादर जोस

फादर जोस बताते हैं कि अब वह पूरी तरह बिहारी हो गए हैं। पिछले 51 साल से बिहार में रह रहे हैं और बिहारी जनमानस के मन से जी रहे हैं। वह बताते हैं कि 20 साल की उम्र में केरल से बिहार आए थे। पटना आए तो पटना विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र से स्नातक किए। इसके बाद पुणे से दर्शनशास्त्र मास्टर्स किया। दिल्ली में फादर बने। वह बताते हैं कि दलित बच्चों के लिए काम करके संतुष्टि मिलती है। साल 2016 में 12 जिलों के दलित, आदिवासी बच्चों के लिए अम्बेडकर प्रेरणा दल बनाया है। बच्चों को प्रशिक्षण देकर उन्हें सक्षम बनाते हैं।
एक हजार से अधिक बच्चों को स्कॉलरशिप दिया

फादर जोस बताते हैं कि दलित बच्चों को हर स्तर पर सहायता की जाती है। 8 से 14 साल के बच्चों को अम्बेडकर प्रेरणा दल से जोड़ते हैँ और उससे बड़े बच्चों के लिए एडोल्सन क्लब चलाते हैं। किशोर-किशोरी क्लब में प्रजनन स्वास्थ्य से लेकर मानसिक तनाव से कैसे बचे बताया जाता है। साथ में उच्च शिक्षा के लिए क्या-क्या संभावनाएं हैं। उच्च शिक्षा के लिए किशोर-किशोरियों की काउंसिलिंग करते हैं। उच्च शिक्षा की राह आसान बनाने के लिए एक हजार बच्चों को स्कॉलरशिप दे रहे हैं। स्कॉलरशिप के लिए बच्चों की एक परीक्षा आयोजित होती है, ताकि पढ़ने के लिए ललक बनी रहे।
मीडिया ट्रेनिंग, स्वास्थ्य शिविर और पेंटिंग के माध्यम से किया जाता है क्षमतावर्द्धन
बच्चों में क्रियेटिव बनाने के लिए समय-समय पर कई तरह के ट्रेनिंग दी जाती है।

इसके तहत मीडिया ट्रेनिंग दी जाती है। मीडिया ट्रेनिंग में बच्चों को खबरें कैसे लिखी जाती है। कैसे एक अखबार निकलता है। खबर लिखने से छपने तक के सारे प्रोसेस बताए जाते हैं। आवासीय प्रशिक्षण के माध्यम से बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अलावे इनके लिए स्वास्थ्य शिविर लगायी जाती है। बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा कैसे करनी चाहिए, इससे संबंधित विशेषज्ञों को बुलाकर ट्रेंड किया जाता है। स्वास्थ्य शिविर में किशोरावस्था में होने वाली स्वास्थ्य और मानसिक समस्याओं के बारे में बच्चों से बातचीत की जाती है।

बच्चों में कला के प्रति रुचि बनी रहे, इसके लिए उनके बीच पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इतना ही बच्चे अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक हो, इसके लिए उन्हें मूल्य शिक्षा का ज्ञान भी दिया जाता है। समय-समय पर बच्चों को स्थानीय थाने, बाल संरक्षण आयोग का कार्यालय और अन्य सरकारी कार्यालयों में भ्रमण भी जाता है।
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