कोई गरीब भूखा न सोये, इसलिए मात्र 15 रुपए में भरपेट खाना खिला रहे 68 वर्षीय विजय कुमार
- Seniors Adda
- Jun 14, 2024
- 3 min read
बचपन में भूखे सोने के दर्द ने गरीबों को सस्ते दर पर खाना खिलाना और पिता की मौत पर दवा नहीं मिलने की घटना से मिली सीख और बन गए गरीबों के मसीहा
पीएमसीएच, गांधी मैदान, स्टेशन, मौर्या लोक और गायघाट के पास गरीबों को15 रुपए भरपेट भोजन कराते हैं विजय कुमार कुमार
बचपन में जब भूखे रहने की सबक ने गरीबों के लिए काम करने को प्रेरित किया
पटना शहर में गरीबों को मात्र 15 रुपए में खाना खिलाने वाले विजय कुमार कौन नहीं जानता होगा। पटना जंक्शन, पीएमसीएच, गांधी मैदान, मौर्या लोक और गायघाट के पास सैकड़ों गरीबों को 15 रुपए में भरपेट खाना खिलाते हैं। यही नहीं जिनके पास पैसे नहीं होते हैं उन्हें भी खाना खिलाते हैं। पैसे के अभाव में कोई भूखा नहीं रहे, यह महान काम कर रहे बाढ़ निवासी विजय कुमार। 68 वर्षीय विजय कुमार बताते हैं कि गरीब होना सबसे बड़ा पाप है। खाने-पीने और इलाज के लिए गरीबों को तड़प-तड़प कर जीते मरते देखा है। इस घटना ने मुझे गरीबों का पेट भरने और सस्ते इलाज के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। मैं गरीबी और अमीरी के इस दरार को भरने के लिए काम कर रहा हूं। पिछले 22 सालों को गरीबों को मात्र मैं अभी 68 साल का हूं। मैंने खुद को कभी बुजुर्ग की श्रेणी में नही समझा। दिनभर गरीबों के कल्याण के बारे में काम करता हूं और स्वस्थ रहता हूं। वह बताते हैं कि शहर में गुजर-बसर कर रहे गरीबों को सस्तेदर पर खाना, मात्र 15 रुपए में खाना खिलाता हूं। यही नहीं गरीबों की मौत पर मात्र 1900 रुपए में लाश जलाने की व्यवस्था करता हूं और गरीबों को सस्तेदर पर दवाईयां उपलब्ध कराने की लड़ाई भी लड़ रहा हूं।

विजय कुमार बताते हैं कि बचपन में वह एक बार पैसे नहीं रहने की वजह से भूखे रह गए थे। एक दुकानदार ने उन्हें मुफ्त में रोटी दी थी तब जाकर पेट भरा था। उसी समय उन्होंने सोचा था कि जब भी पैसा होगा, गरीबों को सस्ते दर खाना खिलाएंगे। वह बताते हैं कि 1964 की बात रही होगी। पूर्णिमा के दिन बाढ़ में गंगा किनारे मेला लगता था और गंगा स्नान का बहुत बड़ा महत्व था। उस समय कोई गाड़ी नहीं चलती थी। वे अपनी मां और भाई के साथ 22 किलोमीटर पैदल चलकर गंगा स्नान के लिए आए थे। बाढ़ में घी की जलेबी खरीदना जरूरी होता था। 10 अना का दो सेर जलेबी और आधा सेर रोटी खरीदे और उसके साथ सब्जी भी थी। रात हो गई थी। बाढ़ स्टेशन पर ही सो गए। नींद में ही कुत्ता रोटी खा गया और नींद खुली तो बहुत जोरों की भूख लगी थी। मैं रोने लगा। वहीं पर एक दुकानदार ने मुझे रोटी खिलाई। तभी सोच लिया था कि पैसे होंगे तो सबको खाना खिलाऊंगा। आज पीएमसीएच में 2000 आदमी हर दिन, गांधी मैदान में 1500 पटना जंक्शन पर 1200 और मौर्या लोक में लगभग 800 आदमी हर दिन 15 रुपए में भरपेट खाना खाते हैं।
देश के युवाओं को एकजुट करने के लिए 17200 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुके हैं विजय कुमार
देश की युवाओं में राष्ट्रभक्ति और एकजुटता की भावना जागृत करने के लिए विजय कुमार 17200 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुके हैं। पैदल यात्रा का र्कीतिमान बनाते हुए 371 दिनों में यात्रा पूरी करके 1 फ़रवरी 2023 को पटना लौटे । पटना लौटने के बाद गर्दनीबाग स्थित धरनास्थल पर आत्मशुद्धि के लिए 24 घंटे का अनशन किया । अनशन के बाद 2 फ़रवरी को गाँधी संग्रहालय में उनका भव्य नागरिक अभिनन्दन किया गया ।

नागरिक अभिनन्दन के बाद अपने पुरे भारत की पैदल यात्रा का संक्षिप्त वृतांत लोगों से साझा करते हुए समाजसेवी विजय कुमार ने कहा कि तिरंगे की ताकत, युवाओं के जोश-सहयोग और अपने आत्मबल की बदौलत मै सम्पूर्ण भारत की पैदल यात्रा पूरा करने में कामयाब हो सका । मै भारत माँ और देश की मिटटी को नमन करता हूँ और इसलिए देश के सभी राज्यों की मिटटी को संगृहीत कर साथ लाया हूँ, यही मिटटी मुझे जीवन भर भारत पैदल यात्रा के परिदृश्य को नज़रों के सामने रखेगी और स्मृतियों को जीवंत रखेगी
Comments