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बड़ा उद्योग नहीं, हाथों के हुनर से 52वर्षीय मंजू झा बनी सफल उद्यमी

  • Writer: Seniors Adda
    Seniors Adda
  • Oct 7, 2024
  • 1 min read

Updated: Oct 11, 2024


घर में रहकर ठेकुआ, खजुरी, निमकी, अचार, दनौरी, अदौरी के अलावे कई तरह के मिक्चर बनाती हैं

सविता।पटना


बोरिंग रोड के चिल्ड्रेन पार्क के सामने 52 वर्षीय मंजू झा और 58 वर्षीय आदित्य झा स्टॉल लगाकर ठेकुआ, निमकी, दनौरी, अदौरी, पुआ, बेचते नजर आ जाएंगे। वरीष्ठ नागरिक के रूप में वह अपने देश के विकास में सहायक बन रहे हैं और उन्हें इस उम्र में काम करने में कोई शर्म नहीं आती है। उनका कहना है हर आदमी को अपनी क्षमता के अनुसार काम करना चाहिए। मंजू झा बताती हैं कि जरूरी नहीं है कि आप बहुत पढ़े-लिखे होकर ही बड़े उद्यमी बन सकते हैं। उद्यमियता के लिए सोच और लगन बहुत जरूरी होती है। इसके साथ समय की जरूरतें भी आपको उद्यमी बनने के लिए मजबूर करती हैं। इसी सोच ने उनको  एक सफल उद्यमी बना दिया है।


 पटना के बोरिंग रोड की रहने वाली मंजू झा बताती हैं कि वह गांव की रहने वाली थी। आधी उम्र मधुबनी में बिताई। पति आदित्य झा पटना में रहकर निजी कंपनी में काम करते थे वह गांव में रहकर बच्चों की परवरिश कर रही थी। समय के साथ जरूरतें बढ़ने लगी। पति की कमाई से बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था उन्होंने तय किया कि वह पटना में रहकर पति का साथ देगी और बच्चों के साथ पटना आ गई। लेकिन पटना आई तो वह क्या करती। ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी कि वह भी जॉब कर पाती। घर चलाना और मुश्किल हो गया। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और घर खर्च में पति का साथ देने के लिए कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। इसी दौरान वह महिला उद्यमी उषा झा से मिली। उषा झा ने कहा कि आपके पास जो हुनर है, उसका ही इस्तेमाल कीजिए। आप घर में आचार,पापड़, अदौरी, दनौरी बनाइए, मैं बाजार में बेचने में मदद कर दूंगी। मंजू झा को खाना बनाना अच्छा लगता था। वह बताती है जब भी वह निराश होती है खाना बनाने बैठ जाती है। बस अपने इसी जुनून को खाना बनाने में लगा दी।वह पिछले दस सालो से 20 प्रकार के अचार, पापड़, अदौरी, दनौरी, कुम्भरौरी, मुरब्बवा सहित कई तरह की चीजें बना रही है। पिछले पांच सालों से ठेकुआ, पड़ुकिया, निमकी, खजूरी, पुआ, लड्डू, पिठ्ठा बनाती है। इसे बाजार में बेचती है। मेलों में स्टॉल लगाती है। इसके अलावे हर दिन सुबह-सुबह बोरिंग के चिल्ड्रेन पार्क के सामने ठेले पर सामान बेचती है। मार्निंग वार्क करने वाले बड़े चाव से खरीदते हैं। वह बताती हैं कि दूसरे राज्यों में भी ऑनलाइन डिलीवरी करती हैं।इस काम में मजा आता है। इससे चार लोगों को रोजगार भी देती हैं। उनके इस काम पति आदित्य झा भी अब साथ देने लगे हैं। वह बताती हैं कि इससे महीने 20-25 हजार रुपए कमा लेती हैं। घर बैठे सब काम करते हुए कमाई हो जा रही है तो क्या दिक्कत है। बच्चे अब बड़े हो गए हें। वह भी काम करने लगे हैं। बस एक मलाल है उन्हें कि सरकार उन्हें किसी तरह की सब्सिडी दे, ताकि वह अपना रोजगार बड़ा कर सके।

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