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दो वक्त की रोजी रोटी की मोहताज 12 महिलाओं ने सिक्की के सामान बनाकर बनी लखपति दीदी

  • Writer: Seniors Adda
    Seniors Adda
  • Feb 24
  • 2 min read

पटना एयरपोर्ट से लेकर दिल्ली हाट में बिकते है सिक्की से बने टोकरी, डलियां, आर्टिफिशल ज्वेलरी और साज सज्जा के सामान


जीविका दीदियां कुशग्राम बनाकर देश- विदेश में हुई मशहूर


सविता। पटना


गरीबी का हाल मत पूछिए, एक दिन खाते थे तो दूसरे दिन उपासे रहना पड़ता था। खेतों में सालों भर काम नहीं मिलता था, लेकिन हाथ के हुनर से सिक्की से सजावटी समान बनाकर किस्मत बदली है। यह कहानी है छपरा के मांझी के बरेजा गांव की रहने वाली 25 वर्षीय आरती कुमारी की। वह मेहनत के बल पर मुकदर का सिकन्दर बन गई है। आज इस गांव की 12 महिलाओं की यही कहानी है।


सिक्की से समान बनाती महिलाएं
सिक्की से समान बनाती महिलाएं

खेतों से सूखे हुए सिक्की यानी कुश लाकर टोकरी, डलिया, कैशरोल, टी-कोस्टर, चूड़ी, गुलदस्ता और हेयरबैंड बनाने लगी। पहले इन्हें गांव के शादी-ब्याह में देती थी। बाहर के लोग पसंद करने लगे तो बड़े पैमाने पर बनाने लगी। अब ये महिलाएं जीविका से जुड़कर देश के मेले में घूम-घूमकर सिक्की के समान बेचकर लखपति दीदियां बन गई है।



दो वक्त का खाना भी नहीं जुटा पाती थी


सीता देवी बताती हैं कि दो साल पहले वह लोगों के सामने ठीक से बोल नहीं पाती थी, आज बड़े-बड़े एक्सपो में अपने उत्पाद की मार्केटिंग करती है। यही नहीं सिक्की से बने समान की खासियत भी बताती है। पुष्पा देवी बताती है कि लोग प्लास्टिक का कैशरोल में रोटियां रखते हैं। वह लोगों को सिक्की का समान इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती है। बरेजा गांव में जीविका की मदद से कुशग्राम बना लिया है। यहां से व्यापारी आकर थोक में सिक्की के समान खरीद कर ले जाते हैं।


गिरिजा देवी बताती हैं कि तीन से चार घंटे सिक्की के समान बनाती हैं। एक बार में 10 हजार से अधिक रुपए का समान बेच लेती है। इससे उसने अपना घर भी बनाया है। वह बताती है कि इस काम के लिए सिर्फ रंग खरीदना पड़ता है। बाकी उनकी मेहनत होती है।



स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अब बकरी पालन और किराना दुकान भी चलाती हैं


यहां की महिलाओं ने कुशग्राम जीविका महिला सिक्की उत्पादक संघ बनाई है। इसके माध्यम से बैंक से पैसे लोन लेकर बकरी पालन करती है और किराना दुकान भी चलाती है। यही नहीं राखी भी बनाती है और उनकी राखियां पटना और यूपी के बाजार में बिकती हैं। महिलाएं बताती है कि तीज त्यौहारों में अच्छी आमदनी हो जाती है। इससे वे अपने घर को ठीक ढंग से चलाने लगी है और उनकी पहचान अब सब जगह हो रही है।

 
 
 

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