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नौकरी नहीं मिली तो घर बैठे आर्टिफिशियल ज्वेलरी से 42 वर्षीय रीना बनाई अपनी कंपनी

  • Writer: Seniors Adda
    Seniors Adda
  • Oct 5, 2024
  • 1 min read

रास्ते कभी बंद नहीं होते, बस मंजिल तक पहुंचने का रास्ता बदलना होता है


सविता। पटना

42 वर्षीय रीना कुमारी मोतियों की ज्वेलरी बनाकर उद्वमियता के क्षेत्र में अलग पहचान बना रही हैं।वह पर्ल, कुंदन फ्रैबिक के डिजाइनर आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाती हैं और देशभर में घूम-घूमकर बेच रही हैं ऑनलाइन फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब भी मार्केटिंग कर रही हैं।


 लेकिन एक समय ऐसा था जब रीना निराशा के अंधेरे में घिरी थी। पटना में रहकर अच्छे कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद भी घर में बेकार बैठ जाने का डर सता रहा था। पति दीपक प्रकाश सारी जरूरतें पूरी कर रहे थे, फिर भी मन में कसक था। वह बताती हैं कि आज दो साल पहले मैं बीपीएससी की तैयारी करती थी। दो बच्चे हैं। दोनों को संभालते हुए पढ़ाई कर रही थी। इसी दौरान बीपीएससी का सिलेबस बदल गया। मैं ध्यान नहीं दे पाई। परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हुई। एक साल ऐसे ही बैठी रही। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आगे मेरा भविष्य कैसा होगा। मैं बचपन से क्रियेटीवी में अच्छी रही थी। मैं घर बैठे काम ढूंढ़ने लगी। इसी दौरान यूट्यूब पर घर बैठे क्या-क्या काम कर सकते हैं, यह सर्च कर रही थी। तभी मुझे पता कि ज्वेलरी बना सकती हूं। वह दिन और आज का दिन। मैं किसी भी निराश और हताश नहीं बैठी। जब भी मन बोझिल होने लगता है किसी न किसी ज्वेलरी को डिजाइन देने बैठ जाती हूं। उन्होंने अपनी कंपनी बना ली है। वह बताती हैं कि रास्ते कभी बंद नहीं होते हैं, बस मंजिल तक कैसे पहुंचना है यह तय करना होता है। रास्ते बदलकर देखिए, ये दुनिया आपका स्वागत करने लगेगी। वह बताती है कि आप वह एक महिला को जॉब दी हुई है। अगर जॉब में होती तो किसी को रोजगार दे पाती कि नहीं इसकी गारंटी नहीं थी। 

 
 
 

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