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पांच क्विंटल अमरूद की हो रही पैदावार

  • Writer: Seniors Adda
    Seniors Adda
  • May 22, 2024
  • 2 min read

आरा के आयर में एक खेत में 72 किस्म के आम, 16 प्रकार के अमरूद, सेब और अंजीर की खेती

अभी हर दिन पांच क्विंटल अमरूद की हो रही पैदावार

लोगों को रसायनिक खाद के जहर से बचाने के लिए जैविक तरीके से फलों की खेती शुरू की, आज हर दिन पांच क्विंटल अमरूद, चार क्विंटल पपीता और बेर का कर रहे हैं उत्पादन

आठ लोगों को सीधे तौर जॉब दिए हैं। गाय के गोबर से बनाते हैं जैविक खाद, जैविक चटनी, जैविक कीटनाशी का करते हैं इस्तेमाल


कोरोना काल में शहर से गांव में भाग रहे थे। हमने सोचा कि हमको भी गांव ही जाना पड़ेगा। क्यों न गांव में जाकर जैविक खेती की जाए और लोगों को रसायनिक खाद के जहर से बचाया जाए। इस सोच के साथ आरा के जगदीशपुर प्रखंड के आयर गांव के उपेन्द्र नाथ सिंह ने 20 बीघे की जमीन पर आम, अमरूद, अंजीर, पपीता, केला सहित बिहार में उत्पादित होने वाले फलों की खेती शुरू की। आज उनके खेत में 72 प्रकार के आम की प्रजाति, 16 प्रजातियों के अमरूद, अंजीर, केला, पपीता, बेर, सेब, अनानास सहित कई तरह के फलों की खेती कर रहे हैं। 75 वर्षीय उपेन्द्र बताते हैं कि उन्होंने शौक के रूप में जैविक तरीके से फलों की खेती की शुुरुआत की थी, लेकिन आज शौक बिजनेस का रूप ले चुका है। उनके खेत से हर दिन पांच क्विंटल अमरूद, चार क्विंटल पपीता और केले का उत्पादन हो रहा है। इस काम के लिए आठ लोगों को सीधे तौर पर काम मिल रहा है। वह बताते हैं जैविक खेती के लिए गाय के गोबर से जैविक खाद बनाते हैं। जैविक चटनी, अमृतजल के अलावे कई जैविक कीटनाशी का छिड़ककाव करते हैं। इसके लिए उन्हें कृषि विज्ञान केन्द्र भोजपुर के वरीय वैज्ञानिक डाॅ पीके प्रवीन ने प्रशिक्षित किया है।



महज चार महीने में सोना उगलने लगा खेत

उपेन्द्र बताते हैं कि वह पटना में रहकर बिजनेस करते हैं। गांव कभी-कभार ही जाते थे। कोरोना काल के बाद उन्होंने पैतृक जमीन पर जैविक तरीके से खेती करने का मन बनाया, लेकिन उनके पास खेती का कोई आइडिया नहीं था। उन्होंने देश के कोने-कोने में फलों की वेराइटी ढूंढ़ने लगे। विदेशों में रह रहे दोस्तों से बीज मंगवाए। सिर्फ अंगूर का पौधा नहीं लगाए। टोमी, संशेन, लालिमा, अम्बे, अम्बिका, दीपशिखा, सूर्या, दशहरी, लंगड़ा, चौसा, फजली, बम्बई, अलफांजो, बैंगन पल्ली,हिमसागर, सुर्वनरेखा, जरदालू आम की प्रजातियों की खेती कर रहे हैं। अरूमद में श्वेता, ललित,हिसार सफेदा, ताईवान सफेदा और इलाहाबादी अमरूद की खेती कर रहे हैं। वह बताते हैं कि महज चार महीने में खेत सोना उगलने लगा।एपल बेर और अमरूद एक-एक किलो का उत्पादित होता है। जामून की कई प्रजाति, बेल, कटहल, आंवला भी लगा रखे हैं। इनको

पांच बीघे में मछली का कर रहे हैं पालन

उपेन्द्र जी पांच बीघे में मत्स्यपालन करते हैं। वे रेहू, कतला और म्रिगल मछली का पालन कर रहे हैं। वह बताते हैं कि इससे खेतों में पानी का स्तर बना रहता है और आस-पास में मछली की अच्छी बिक्री हो जाती है।

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