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पढ़ाई के लिए नहीं थे पैसे, काम की तलाश में घर से भागे, हैदराबाद जाकर मछली पालन सीखा और चार साल में मयंक बन गए 50 लाख रुपए के मालिक

  • Writer: Seniors Adda
    Seniors Adda
  • Sep 30, 2024
  • 2 min read

बिहटा के मीठापुर के रहने वाले 24 साल के मयंक ने जिद से बदली जिन्दगी की रफ्तार, दे रहे पांच लोगों को रोजगार


सविता। पटना बिहटा के मीठापुर के रहने वाले मयंक 24 की उम्र में 50 लाख रुपए के मालिक हैं, वह सिर्फ मछली पालन करके। महज चार साल में सफल उद्यमी बनकर दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं। आज से चार साल पहले पैसे की तंगी की वजह से इंटर में पढ़ाई छूट गई थी। मयंक ने तनाव में घर बैठने के बजाय काम की तलाश करनी शुरू कर दी। इसके लिए घर से भागना पड़ा। वह काम ढूंढ़ते-ढूंढ़ते हैदराबाद पहुंच गए। वहां पहुंचे तो युवाओं को बायो फ्लॉक विधि से मछली पालन करना सिखाया जा रहा था। रहना-खाना सब फ्री था। फिर क्या था, उसने बायो फ्लॉक विधि से मछली पालन सिखा और फिर घर पहुंच गए। वह समय और आज का समय, मयंक ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह बताते हैं कि पिता ने कहा कि घर ठीक से चल नहीं रहा है तुम मछली पालन करके कितना कमा लोगे, लेकिन मयंक ने रिस्क लेना सही समझा। पहले छोटे-छोटे बायोप्लान बनाकर मछली पालन किया। पिता ने विरोध किया। धीरे-धीरे मछली का उत्पादन बढ़ा तो आमदनी भी बढ़ने लगी। पिता नाराज थे, जब घर में पैसे देने लगे तो उनका भी दिल पसीजने लगा। पैसे और आत्म विश्वास बढ़ा तो इस साल वृहत बायो फ्लॉक लगाए हैं। मात्र छह महीने में 20 लाख रुपए की मछली बेच लिये हैं। वह बताते हैं कि 25 लाख रुपए लागत में वृहत बायो फ्लॉक लगाए थे। लागत की राशि लगभग निकल चुकी है, अब भी तालाब में मछली है। एक से दो महीने में पूरी लागत निकल जाएगी।


एक बीघे में वृहत बायो फ्लॉक तालाब का निर्माण किया है


मयंक बताते हैं कि वह एक बीघे में वृहत बायो फ्लॉक तालाब का निर्माण किये हैं। इस तालाब में पंगेसियस मछली का पालन कर रहे हैं। पिछले एक महीने में उन्होंने दस क्विंटल मछली बेच चुके हैं। वह बताते हैं कि मछली बेचने के लिए उन्हें बाजार नहीं जाना पड़ता है। सारे वेंडर घर ही आ जाते हैं और मछलियां खरीदकर ले जाते हैं। ताजी और जिन्दा मछलियां रहने के कारण कीमतें अच्छी मिल जाती है।


मछली पालन कर हिन्दी विषय से स्नातक किया


मयंक का कहना है कि पैसे की तंगी की वजह से उसने पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन जब पैसे आए तो मछली पालन के साथ पढ़ाई भी जारी रखी। हिन्दी विषय से स्नातक भी कर लिया है। मयंक के पिता गिरीश कुमार किसान हैं। माता वीना देवी गृहिणी है। वह दो भाई है। पिता तीन बीघे में खेती करते थे। पिता से जिद करके एक बीघा जमीन लिया है। उसी पर वृहद बायो फ्लॉक तालाब बनाए हैं। वह बताते हैं कि पहले बड़ा भाई काम करते थे और परीक्षा की तैयारी करते थे, अब बड़े भी उनके साथ मछली पालन करने लगे हैं। वह खुद के साथ पांच लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।"


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