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बिहार में ओलंपिक के लिए तैराक तैयार करने में लगे हैं 48 वर्षीय पंकज

  • Writer: Seniors Adda
    Seniors Adda
  • Oct 14, 2024
  • 2 min read

Updated: Oct 21, 2024

राष्ट्रीय स्तर का स्विमिंग पुल का नहीं होना, खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी परेशानी

जब खुद नहीं बन पाए राष्ट्रीय स्तर का तैराक को बेटी को बना दिया तैराक


सविता। पटना


तैराकी करना मेरा शौक है। बचपन में घर में बिना बताए गंगा नदी में तैरने चला जाता था। घर में पिटाई के डर से कपड़े सुखाकर ही लौटता था, समय के साथ मेरा स्विमिंग के प्रति जुनून बढ़ता चला गया। लेकिन एक ऐसा भी समय आया जब घर की जिम्मेवारियों के कारण तैराकी को छोड़ना पड़ा, लेकिन मेरी बेटी ने मुझे फिर से स्विमिंग से जोड़ा, आज मैं बिहार स्विमिंग एसोसिएशन में संयुक्त सचिव हूं। खुद पर गौरवांवित होते हुए तैराक पंकज कुमार ने यह बातें बताई।


48 वर्षीय पंकज कुमार बताते है कि बच्चों को तैराकी सिखाने और राष्ट्रीय स्तर की तैराकी के लिए तैयार करना, अब उनका काम है। लेकिन बस एक दुख है कि बिहार में राष्ट्रीय तैराक बनाने के लिए कहीं भी 50 मीटर का स्विमिंग पुल नहीं है। स्टैंडर्ड पुल नहीं रहने के कारण बच्चे गंगा नदी में प्रैक्टिस करते हैं, वह भी प्रैक्टिस पिछले दो महीने से बंद है, क्योंकि गंगा नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है। कहने के लिए एयरपोर्ट के पास आईएएस पुल बना है। इस पुल की लम्बाई 50मीटर है, लेकिन इस पर सिर्फ आईएएस का कब्जा रहता है। जबकि इस स्विमिंग पुल को बिहार राज्य पुल निगम ने बनाया था। इसके बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर चयनित बच्चों को प्रैक्टिस करने के लिए बिहार राज्य खेल प्राधिकरण में पत्र लिखना पड़ता है। बहुत मुश्किल से स्विमिंग पुल मिलता है, वह भी सिर्फ सात दिनों के लिए प्रैक्टिस करने के लिए दिया जाता है। बिहार के बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन कई बच्चे पैसे के अभाव में स्विमिंग के क्षेत्र में कॅरियर नहीं बना पाते हैं तो कई स्विमिंग पुल नहीं रहने की वजह से राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच नहीं पाते हैं।


दादा, पिता और अब बेटी भी कर रही स्विमिंग

पंकज का परिवार शुरू से स्विमिंग से जुड़ा रहा है। वह बताते हैं कि उनके दादा अच्छे तैराक थे। पिता भी स्विमिंग जानते थे। पिता से प्रेरित होकर उन्होंने भी स्विमिंग किया, लेकिन पिता चाहते थे कि बेटा डॉक्टर बने। इसके लिए उन्होंने मेडिकल की तैराकी कराई। उनका एडमिशन डिब्रूगढ़ मेडिकल कॉलेज में हो चुका था, अभी तीन महीने भी नहीं हुए थे कि पिता का दुर्घटना नाला रोड में हो गया। दुर्घटना की वजह से पिता मनी लाल गुप्ता का ब्रेन हेमब्रेज हो गया। वह कोमा में चले गए। ऐसे में उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी और पटना में लगे। बीएन कॉलेज से जीव विज्ञान से स्नातक किया। फिर फार्मा के क्षेत्र में आ गए। दस साल पहले अपनी कंपनी बनाई और अब दवा के क्षेत्र में बिजनेस कर रहे हैं। वह घर खर्च के लिए फार्मा का काम करते हैं, लेकिन दूसरी ओर तैराकी के शौक को जिन्दा रखे हुए हैं। वह बताते हैं कि उनका सपना है कि बिहार से ओलंपिक में भाग लेने वाले तैराक बने। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर होना बहुत जरूरी है।

 
 
 

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