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बेटियों को बाल विवाह से बचा स्कूल से जोड़  रही हैं 65 वर्षीय सविता डे

  • Writer: Seniors Adda
    Seniors Adda
  • Oct 11, 2024
  • 1 min read

बिना किसी तामझाम के सादगी भरी जिन्दगी जीती हैं मुंगेर की सविता डे

बेटियों और महिलाओं को सबल बनाने में लगा दी पूरी जिन्दगी

सविता। पटना


सविता डे, वह नाम है, जिनकी जिन्दगी बेटियों और महिलाओं के सबल करने में लग गई। सविता डे आज 65 साल की है। वह आज भी एक दम साधारण जिन्दगी जीती हैं।रोहतास के तिलौथू में रहकर बेटियों को मानव तस्करी से बचाने के लिए आज भी रात के बारह बजे हो या दो बजे  निकल पड़ती हैं उम्र के इस पड़ाव पर भी समाज के प्रति समर्पन और काम करने का जुनून हर किसी को प्रेरित करता है। वह रोहतास की पहाड़ियों पर महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त में लगी हैं।सविता बताती हैं कि बचपन से ही दूसरों की सहायता करना उनकी रुचि थी। 



मुंगेर की रहने वाली सविता में बचपन से ही समाज सेवा का भाव रहा

वह मुंगेर की रहने वाली हें।अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंगेर से ही पूरी की।वह बताती हैं कि बचपन में जब किसी लड़की के पास कॉपीकिताब के लिए पैसे नहीं रहते थे तो वह अपनी किताबें और कॉपियां दे देती थी। जैसे-जैसी बड़ी समाजसेवा की भावना प्रबल होती चली गई। उन्होंने मुंगेर से स्नातक की। इसके बाद भागलपुर से एलएलबी और पीजी की। इसके बाद पश्चिम बंगाल से बीएड की। इसी दौरान उनकी शादी हो गई। साल 1988 का था जब पटना में एक वैकेंसी निकली थी। वनवासी महिलाओं के आर्थिक सशकतीकरण के लिए काम करने के लिए। उन्हें काम की तलाश थी। उन्होंने काम के लिए आवेदन कर दिया। इंटरव्यू दिया तो रोहतास के अधौरा पहाड़ पर महिलाओं का समूह बनाकर पशुपालन के लिए जागरूक करने का काम मिला। वह महिलाओं को जोड़ती और उन्हें पशुपालन के लिए प्रेरित करती। खरवार और रजवार अनुसूचित जाति के लोग होते हैं। उन्हें समझाना बहुत ही मुश्किल था। इसके लिए उन्हें उनकी तरह बनकर काम करना पड़ा। गरीब महिलाओं के साथ काम करके पता चला कि अगर इनके लिए काम करना है तो इनकी तरह बनना पड़ेगा। वह कई सालों तक चाइल्ड लाइन के लिए काम किया। बच्चियों को मानव तस्करी से बचाया।


गांवों में बेटियों को बचाने के लिए बनाती हैं किशोरी क्लब

सविता डे, बेटियों के लिए सूर्य की रोशनी हैं जो बेटियों को हर जुल्म से बचाकर शिक्षा से जोड़ती है।हजारों बेटियों को बाल विवाह से बचाकर स्कूल से जोड़ने का काम कर रही हैं।वह अभी हंगर प्रोजेक्ट के साथ मिलकर 18साल से कम उम्र की लड़कियों का सुकन्या क्लब बनाती हैँ और उन्हें बाल विवाह से बचाती हैं। प्रजनन स्वास्थ्य के साथ अन्य लड़कियों को सामाजिक बुराई से बचने की ट्रेनिंग भी देती हैं। सविता डे का कहना है कि उन्हें कभी मलाल नहीं हुआ कि वह अधिक पैसे क्यों नहीं कमा पाई। उन्हें अपने काम से प्यार है इसलिए पश्चिम बंगाल में परिवार को छोड़कर बेटियों को सशक्त करने के लिए काम कर रही हैं। सविता डे ने साबित किया है जिन्दगी पैसे से अधिक लोगों के प्यार से चलती है।

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