मां बनने की कोई उम्र नहीं होती, औरत तो जन्म से मां ही होती है
- Seniors Adda
- May 25, 2024
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45 साल की उम्र में मां बनने की खुशी और ममत्व की भावना से भरी डॉ शोभा रानी ने सुनाई अपनी कहानी
गर्भावस्था के दौरान कई तरह की परेशानियां सही, लेकिन अब मेरी पूरी दुनियां ही बदल गई
मैं पांच महीने की पंखुरी की मां हूं। मेरी उम्र 45 साल है। इस उम्र में मां बनना मेरे लिए सुखद अनुभूति है। आज मेरी बेटी पांच महीने की है और मैं अपनी बेटी के साथ खुद को जी रही हूं। एक वक्त था, जब लोग मां नहीं बनने के कारण ताने मारते थे। लेकिन मैंने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया। हां एक कसक रहती थी। वह भी कसक जिम्मेवारियों के आगे खत्म हो जाती थी। यह कहना है डॉ शोभा रानी का। समाजसेवी शोभा रानी 45 साल की उम्र में मां बनी है। वह बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान कई तरह स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ा। छठे महीने से पूरी तरह बेड रेस्ट में आ गई। उम्र अधिक थी तो रिस्क भी अधिक था। इस वजह से तारीख के 28 दिन पहले ही बेटी का जन्म हो गया। नॉर्मल डिलीवरी से बच्ची का जन्म हुआ है। वह बताती हैं कि औरत जन्म से मां होती है। ममता की छांव कैसे और कहां देना है औरत को बखूबी आता है।

सास सात साल तक बेड पर बीमार रही, ससूर को तीन बार ब्रेनहेमरेज, बस उनकी सेवा में जिन्दगी गुजरती चली गई
शोभा रानी बताती हैं कि साल 2005 में उनकी शादी सुरेन्द्र प्रसाद सिंह से हुई थी। शादी के बाद पति को स्वास्थ्य संबंधित कुछ समस्याएं होने की वजह से बच्चा नहीं हो रहा था। एक चुनौती खत्म होती तो दूसरी शुरू हो जाती। ससूर का ब्रेन हेमरेज हो गया। उनको संभालने में लगे तो सास पूरी तरह बीमार हो गई। तीन बार ससूर को ब्रेन हेमरेज हुआ और ससूर का देहांत हो गया। सास सात साल तक बेड पर रही। दो साल पहले सास भी गुजर गई। अब अकेलापन सताने लगा। क्योंकि मेरे सास-ससूर किसी बच्चे से कम नहीं थे। उनके साथ रहना, हंसना, गाना, सब कैसे बितता था, पता नहीं चलता था। मां बनने का जब मन बनाया तो तकलीफें भी सहनी पड़ी।
मैं सैंकड़ों बच्चों की मां हूं अब एक और बेटी मेरी जिन्दगी का हिस्सा है
मैं सामाजिक कार्याें में लगी रहती हूं। बच्चों में शिक्षा के माध्यम से संस्कार देने का काम करती हूं। कभी मां नहीं बनने का मलाल नहीं था। हां पर बेटी हुई तो एक और बच्ची मेरी जिन्दगी का हिस्सा बन गयी है।
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